इनेलो का छीन सकता है चुनाव चिन्ह, चश्मा

क्या आईएनएलडी यानी इनेलो का स्टेट पार्टी का दर्जा चल जाएगा. देश को उप प्रधानमंत्री और हरियाणा को दो मुख्यमंत्री देने वाली इंडियन नेशनल लोकदल का स्टेट पार्टी का दर्जा खतरे में है और प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल ने इनेलो पार्टी का सफर शुरू किया 1998 में ताऊ देवीलाल ने इस पार्टी का नाम इंडियन नेशनल लोकदल रखा और 1999 में भाजपा के साथ गठबंधन में 5-5 सीटों पर चुनाव लड़ा. सन 2000 में विधानसभा चुनाव भी इनेलो ने भाजपा के साथ गठबंधन में लड़ा और इन वालों ने 47 भाजपा ने 6 सिम जीती ओमप्रकाश चौटाला पांचवीं बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने सन 2004 में बीजेपी इनेलो का गठबंधन टूट गया लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से 9 और बीजेपी ने एक सीट जीती 2005 विधानसभा में भी इनेलो सिर्फ जो सीटों पर जीत दर्ज कर पाई 2009 में लोकसभा चुनाव में भी इनेलो की कोई सीट नहीं आई लेकिन विधानसभा में उसे 32 सीटों पर जीत हासिल हुई 2014 में इनेलो ने दो सीट जीती लोकसभा में और 19 सीट जीती विधानसभा चुनाव में लेकिन 2018 में इंडियन नेशनल लोकदल बिखर गई ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे ने अपने दो बेटों दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला के साथ JJP यानी जननायक जनता पार्टी बना ली.

स्टेट पार्टी का दर्जा क्यों खतरे में है ?

किसी भी पार्टी को लगातार 2 लोकसभा / विधानसभा चुनाव में एक निश्चित वोट अगर नहीं मिलता है तो स्टेट पार्टी का दर्जा छिन जाता है. लोकसभा चुनाव में 6% और 1 सीट या 8% वोट की जरूरत होती है वही विधानसभा चुनाव में 6% वोट और 2 विधानसभा सीट होनी चाहिए. 2019 के लोकसभा चुनाव में 1.89% और विधानसभा चुनाव में 2.44% वोट ही इनेलो को मिल पाए. लोकसभा चुनाव में पार्टी को किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली वहीं विधानसभा में भी सिर्फ 1 सीट पर ही जीत मिली. अगर इनेलो का प्रदर्शन पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव जैसे ही रहा तो नियम के अनुसार उसका पार्टी चिन्ह भी छीन सकता है और उसका स्टेट पार्टी का स्टेटस भी खत्म हो सकता है .