चौ. देवीलाल की विरासत खतरे में.

दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा की जनता से माफी मांगी है दुष्यंत चौटाला लिखा
@Dchautala
एक तरफ़ मैं हिंदुस्तान के मतदाताओं पर गर्व करता हूँ कि उन्होंने हमेशा देश को,संविधान को,लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए वोट किया है।दूसरी तरफ़ क्षमाप्रार्थी हूँ कि सरकार और सदन में रहते हुए हम आपकी अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरे। संवाद और मतदान के माध्यम से हमेशा नई सीख देने वाली हरियाणा की महान जनता का आभार प्रकट करता हूँ, प्रणाम करता हूँ।

विपरीत परिस्थितियों में मज़बूती के साथ काम करने वाले सभी मेहनती कार्यकर्ताओं को धन्यवाद।

दुष्यंत चौटाला को इस तरह का ट्वीट क्यों करना पड़ा इस पर चर्चा हम बाद में करेंगे . हरियाणा में लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद हर कोई बीजेपी और कांग्रेस की बात कर रहा है ! किस पार्टी को नतीजे से नुकसान हुआ है और किस पार्टी को नतीजे से फायदा हुआ है !
लेकिन इस चुनाव में 2 पार्टी ऐसी भी थी जिनका आपस में ही मुकाबला था हालांकि दोनों पार्टी की उम्मीदवार कहीं भी जीत की रेस में नहीं थे ! उन दोनों पार्टियों की रेस यही थी कि उन दोनों पार्टी में से किस पार्टी का उम्मीदवार दूसरी पार्टी के उम्मीदवार से कितनी अधिक वोट लेता है. हम बात कर रहे हैं इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) और जननायक जनता पार्टी (JJP)की.

अगर हरियाणा लोकसभा चुनाव के नतीजे की बात करें कि तो दोनों ही पार्टी के नतीजे बेहद निराशाजनक वाले हैं. अगर इंडियन नेशनल लोकदल की बात करें तो उसके दो उम्मीदवार ही 50000 से ज्यादा वोट ले पाए जिसमें से एक उसके पार्टी के सर्वे शर्मा अभय चौटाला है जो कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे और जिनको मैच 78000 वोट मिले. अपनी पूरी ताकत इस चुनाव में लगा दी थी पूरे हरियाणा के कार्यकर्ता उन्हें इलेक्शन जितवाने में लगे हुए थे उसके बावजूद उन्हें महज 78000 वोट मिले. 2019 में मोदी लहर में उनके सुपुत्र यहां से करीब करीब 60000 वोट लेने में कामयाब हुए थे. अभय चौटाला ने जहां कलायत से रामपाल माजरा को अपनी पार्टी का अध्यक्ष बनाया, किसान नेता चढ़ूनी का समर्थन लिया, करनाल में मराठा को अपनी पार्टी के समर्थन दिया, उसके बावजूद वह सिर्फ 20000 अधिक वोट जितने में कामयाब हुए.
इनेलो की हालत यह रही कि उसके 2 उम्मीदवार ही पूरे हरियाणा में 50000 से ज्यादा वोट ले पाए, जिसमें एक वह खुद है जिन्हें कुरुक्षेत्र से 78000 वोट मिले और दूसरे सिरसा से संदीप लौट है जिन्हें 92 हजार वोट मिले. उनके पार्टी के बाकी कोई भी उम्मीदवार 25000 वोटो तक भी नहीं पहुंच पाया, आलम यह था कि उनकी पार्टी के एक उम्मीदवार की तो नोटा से भी कम वोट आई. गुड़गांव से उनके उम्मीदवार को 5000 से कम वोट मिले जबकि नोट को वहां से करीब करीब 6500 हजार वोट मिले.
पूरे हरियाणा से INLD को सवा दो लाख के आसपास वोट मिले जो टोटल वोटो का 1.74% था और सभी उम्मीदवारों की जमानत जप्त हो गई.

अब बात करते हैं जननायक जनता पार्टी यानी कि JJP की. JJP देवीलाल परिवार की दूसरी पार्टी है हालांकि यह इंडियन नेशनल लोकदल में से ही निकाल कर बनी हुई पार्टी है. 2018 में दुष्यंत चौटाला ने अपने पिता अजय चौटाला और भाई दिग्विजय चौटाला के साथ मिलकर अपने दादा ओमप्रकाश चौटाला और चाचा अभय चौटाला से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई और जिसका नाम रखा जननायक जनता पार्टी, जननायक मतलब चौधरी देवीलाल से है. अगर 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे की बात करें तो JJP की हालत इंडियन नेशनल लोकदल से भी ज्यादा खराब रही. लोकसभा चुनाव के दरमियान दुष्यंत चौटाला और उसके परिवार के सदस्यों को लोगों ने गांव में घुसने तक नहीं दिया जमकर उनका विरोध किया, हालांकि दुष्यंत चौटाला ने उसे समय भी अपनी कोई गलती नहीं स्वीकारी. उनके भाई दिग्विजय चौटाला ने तो यह तक कह दिया कि मैं तो पहले से ही भारतीय जनता पार्टी के साथ एलाइंस से खफा था. हालांकि इस चुनाव में दुष्यंत चौटाला की पार्टी से उनकी मां नैना चौटाला हिसार से चुनाव लड़ रही थी. नैना चौटाला को पूरे चुनाव में 22000 वोट मिले. पूरे हरियाणा से दुष्यंत चौटाला की पार्टी को एक लाख के आसपास वोट मिले अगर टोटल नंबर आफ वोट्स की बात करें तो उन्हें सिर्फ 0. 6% वोट मिले और उनके सभी उम्मीदवारों की जमानत जप्त हो गई. फरीदाबाद और अंबाला में तो उनके उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले.

यह दोनों पार्टी अपने आप को देवीलाल की वारिस मानते. देवीलाल हरियाणा में आज तक के सबसे बड़े नेता हुए है, देवीलाल को आज भी हरियाणा में लोग पॉलिटिक्स नहीं मानते, उन्हें आज भी जनता का नेता यानी कि जननायक रूप में याद किया जाता है. देवीलाल की पार्टी ने इस देश को डिप्टी प्रधानमंत्री दिया है हरियाणा को बेहतरीन मुख्यमंत्री दिए हैं और बेहतरीन सरकारी दी है जिन्होंने जनता के लिए काम किया है. इस देश में अगर बुढ़ापा पेंशन का किसी को श्रेय जाता है तो वह आज भी चौधरी देवीलाल को जाते हैं. तो इतने महान शख्स की विरासत को क्या दीमक लग गया. और यह नौबत क्यों आई . INLD और JJP का परंपरागत वोट बैंक एक ही था जब दोनों पार्टी अलग-अलग हुई तो JJP के साथ वह वोट बैंक ज्यादा चला गया. पिछले 4 साल सरकार में सट्टा का सुख भोंकते हुए दुष्यंत चौटाला ने अपने ही वोटर को अपने खिलाफ कर दिया. लोकसभा चुनाव में जब लोग दुष्यंत या उसके परिवार के सदस्यों से सवाल करते थे तो वहां भी दुष्यंत चौटाला और नए चौटाला का रवैया विरोध क था. दुष्यंत चौटाला को लगा कि आप कुछ भी करिए लोग सब कुछ भूल कर आपको फिर से गले लगाएंगे लेकिन वह यह भूल गए कि इंटरनेट का जमाना है आपने कब कहा क्या कहा वह सभी चीज इंटरनेट पर मौजूद है सिर्फ एक क्लिक पर आपकी सारी डिटेल्स सामने आ जाएंगे.हालांकि लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद कुछ-कुछ यह चीज दुष्यंत समझ में आई है और उन्होंने ट्विटर पर ट्वीट के माध्यम से लोगों से माफी मांगी है . हालांकि लोकसभा का चुनाव तो दुष्यंत की पार्टी के लिए एक ट्रेलर था पिक्चर तो अभी बाकी है मेरे यार.

हालांकि यह देखकर दुख जरूर होता है की देवी लाल जैसी शख्सियत की विरासत की हालत क्या हो गई है. क्या अगले विधानसभा चुनाव में उनकी विरासत बच पाएगी ? इंडियन नेशनल लोकदल का तो चुनाव आयोग किसी भी समय स्टेट पार्टी के दर्जा और उनके पार्टी सिंबल चश्मा रद्द कर सकता है
क्योंकि उसे लगातार दो लोकसभा चुनाव में 2% से भी कम वोट मिले है . इस लोकसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला को तो महज .06% वोट मिले.

हरियाणा का विधानसभा चुनाव 4 महीने में है.

क्या दुष्यंत चौटाला ने माफी मांगने में देर कर दी?

क्या लोग दुष्यंत चौटाला को माफ कर पाएंगे?

देवीलाल का असली वारिस अभय चौटाला या दुष्यंत चौटाला में से कौन बन पाएगा?

चौधरी देवीलाल की विरासत बच भी पाएगी या नहीं?

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