जैसा कि आप जानते हैं कि पूरा भारतवर्ष इस वक्त चुनावी माहौल में रंग चुका है आज इसी माहौल में हम चर्चा करेंगे हरियाणा के एक ऐसी लोकसभा सीट की जिससे चुनाव हुआ सांसद इस देश का 2 बार प्रधानमंत्री बना. पहले बात करते हो उसे शख्स की जो 2 बार इस देश का प्रधानमंत्री बना. जी हां हम बात कर रहे हैं गुलजारीलाल नंदा की. गुलजारीलाल नंदा भारत के दो बार प्रधानमंत्री बने हालांकि वह अलग बात है कि वह दोनों बार 12 और 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने.
पहली बार वह प्रधानमंत्री बने 27 मई 1964 से 9 जून 1964 तक 12 दिन के लिए जब पंडित जवाहरलाल नेहरू का निधन हुआ.
दूसरी बार वह प्रधानमंत्री बने 11 जून 1966 से 24 जून 1966 तक यानी की 13 दिन के लिए जब लाल बहादुर शास्त्री का निधन हुआ.
आई बात करते हैं हरियाणा की उसे लोकसभा सीट की जहां से गुलजारीलाल नंदा ने दो बार चुनाव जीता. यह थी हरियाणा की कैथल लोकसभा सीट. जी हां आपने ठीक सुना किसी जमाने में कैथल हरियाणा की लोकसभा सीट हुआ करती थी 1962, 1967 और 1971 में कैथल लोकसभा की एक सीट थी. उसे वक्त हरियाणा में नौ लोकसभा की सीट होती थी जिसमें से आठ जनरल कैटेगरी की होती थी और एक जो अंबाला की सीट थी वह रिजर्व कैटेगरी की होती थी. कैथल लोकसभा सीट से गुलजारीलाल नंदा ने 1967 और 1971 का चुनाव लड़ा हालांकि यह दोनों ही चुनाव उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी की टिकट पर लड़े और जीते. हालांकि 1962 में हरियाणा जो कि पंजाब का एक हिस्सा था तो कैथल लोकसभा सीट पंजाब में आती थी उसे वक्त पंजाब में 22 लोकसभा सीट होती थी जब 1966 में हरियाणा एक अलग राज्य बना तो हरियाणा में 9 लोकसभा सीट बनी जिसमें से 8 सीट जनरल कैटेगरी की थी और एक सीट अंबाला संसदीय क्षेत्र जो था वह रिजर्व कैटेगरी में था. 1962 में जब कैथल लोकसभा क्षेत्र में पहला चुनाव हुआ तो यहां से कांग्रेस के देवदत्त जीते. 1967 के चुनाव में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारीलाल नंदा ने यहां से चुनाव लड़ा और 1,80,700 वोट्स प्राप्त किया जो की टोटल वोट्स का 48.5% था और 27000 वोटो से जीत हासिल की. 1971 में गुलजारीलाल नंदा ने यहां से दोबारा चुनाव लड़ा और इस बार उन्हें 155000 वोट मिले जो टोटल वोट्स का 44% था और करीब करीब 25000 वोट से गुलजारीलाल नंदा यहां से दोबारा चुने गए. बाद में 1973 में जब कुरुक्षेत्र एक जिला बना तो कैथल संसाधन क्षेत्र को खत्म कर कर उसकी जगह कुरुक्षेत्र को संसदीय क्षेत्र बना दिया गया. बाद में फरीदाबाद को भी एक संसदीय क्षेत्र बना दिया गया और अब हरियाणा में 10 लोकसभा सीट हैं.
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