पिछले दिनों हरियाणा की राजनीति में जबरदस्त उठा पटक हुई इस उठा पटक की शुरुआत हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुड़गांव रैली से जहां नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को दरी के जमाने का अपना दोस्त बताया और उन्होंने लोगों को बताया कि कैसे वह और मनोहर लाल रोहतक से गुड़गांव तक मोटरसाइकिल पर आते थे उसके एक दिन बाद ही मनोहर लाल ने अपनी पूरी कैबिनेट के साथ इस्तीफा दे दिया और बीजेपी और JJP का 4:30 साल का एलाइंस भी इसके साथ खत्म हो गया. भारतीय जनता पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर की जगह नायक सैनी को हरियाणा का नया मुख्यमंत्री बनाया. इसके बाद दुष्यंत चौटाला ने भी हिसार में अपनी रैली करी और हल्के-फुल्के मजाक के अंदाज में बीजेपी से अलग होने के कारण बताएं
लोगों को समझ नहीं आया कि यह सब क्या हो रहा है जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मनोहर लाल खट्टर की और अपनी दोस्ती की इतनी तारीफ कर रहे थे तो ऐसा क्या हुआ की 2 दिन के बाद हरियाणा को नया चीफ मिनिस्टर मिल गया. हालांकि अब जब नायब सैनी के मंत्रिमंडल का विस्तार हो चुका है और हरियाणा को नए मंत्री मिल चुके हैं तो तस्वीर धीरे-धीरे साफ होती जा रही है.
नई सरकार में मुख्यमंत्री भी मनोहर लाल खट्टर के पसंद के हैं और जितने मंत्री बने वह भी सभी मनोहर लाल खट्टर की पसंद की है यह सब चीज मनोहर लाल खट्टर बताओ मुख्यमंत्री रहते हुए नहीं कर पाए थे जो उन्होंने बिना मुख्यमंत्री रहते हुए कर दी. यानी कि मनोहर लाल खट्टर इस समय हरियाणा के सुपर सीएम बन चुके हैं.
ऐसा नहीं है कि यह सब अचानक हुआ है इस सब की पटकथा काफी महिनो से लिखी जा चुकी थी .प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मनोहर लाल खट्टर की तारीफ करने का मतलब यह था कि अब अगले कुछ दिनों में हरियाणा में जो कुछ भी होगा उसमें उन्होंने मनोहर लाल खट्टर को पूरी आजादी दी है.
सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी और JJP एक दूसरे से अलग होना थी हालांकि यह सब एक रणनीति के तहत हुआ है सिर्फ लोगों को दिखाने के लिए ऐसा किया गया कि वह लोकसभा चुनाव में टिकट शेयरिंग को लेकर अलग हुए. लेकिन यह एक बहुत ही स्मूथ एग्जिट प्लान था जिसे खुद मनोहर लाल खट्टर और दुष्यंत चौटाला ने तैयार किया था. अलग होने के 2 दिन के बाद ही दुष्यंत चौटाला और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चंडीगढ़ में मुलाकात करी. यह कुछ-कुछ बॉलीवुड कपल्स के डाइवोर्स जैसा था जिसमें कपल डिवोर्स तो ले लेते हैं लेकिन अक्सर पार्टियों में एक दूसरे के साथ देखे जाते हैं और दोनों को एक दूसरे का दोस्त बताते हैं.
जब मनोहर लाल खट्टर 2014 में पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तो भारतीय जनता पार्टी में भी कई लोग थे जो उनको चुनौती देते रहे थे जिसमें से कैप्टन अभिमन्यु, ओमप्रकाश धनखड़, अनिल विज, राव इंद्रजीत और चौधरी वीरेंद्र सिंह प्रमुख थे. हालांकि इनमें से 5 साल के बाद अगले विधानसभा चुनाव में कैप्टन अभिमन्यु और ओमप्रकाश धनखड़ चुनाव हार गए. लेकिन अनिल विज और राव इंद्रजीत लगातार मनोहर लाल खट्टर पर दबाव बनाते रहे और अपनी मनमानी करवाते रहे. हालांकि अनिल विज मनोहर लाल सरकार में होम मिनिस्टर और हेल्थ मिनिस्टर थे. अनिल विज तो अक्सर मनोहर सरकार से नाराज हो जाते थे और नाराज होकर अपना काम ही बंद कर देते थे. कई मौका पर मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें मनाया और समझाया.
इस बार भी ऐसा ही हुआ जब नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया तो अनिल बी अपने स्वभाव के अनुसार नाराज होकर अपने घर बैठकर हालत क्यों नहीं उम्मीद थी कि भारतीय जनता पार्टी की तरफ से उन्हें मनाने की पूरी कोशिश की जाएगी उनको लगा कि नए मुख्यमंत्री जब अंबाला आएंगे तो वह उनके घर उन्हें मनाने आएंगे लेकिन इस पारी ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. ना उन्हें मनाया गया ना उन्हें मंत्री बनाया गया. उन्होंने जो पिछले 9 साल तक मनोहर लाल खट्टर को परेशान किया है. उन सब का बदला मनोहर लाल खट्टर ने एक झटके में ही ले लिया. यही नहीं मनोहर लाल खट्टर के कहने पर ही अंबाला शहर से विधायक असीम गोयल को मंत्रिमंडल में जगह मिली. इस वक्त हालात यह है कि कयास लगा लगाया जा रहा है कि कहीं अनिल विज को अगले विधानसभा का टिकट भी ना मिले.
दूसरी तरफ राव इंद्रजीत के चाहते O P यादव को इस मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है. राव इंद्रजीत के विरोधी रहे डॉक्टर अभय यादव को इस बार मंत्री बनाया गया है. इसे भी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कहने पर किया गया है.
इस वक्त भारतीय जनता पार्टी में खट्टर कितने पावरफुल हैं इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि चीफ मिनिस्टर हटाने के बाद भी उन्होंने करनाल से ही नायब सैनी को विधानसभा भेजने का प्लान बनाया है उनका कहना है कि पहले भी करनाल सीएम सिटी थी अभी भी करनाल को सीएम सिटी रखा जाएगा.
बीच-बीच में चौधरी बीरेंद्र सिंह भी खट्टर की आलोचना करते रहते थे हालांकि यह चौधरी बीरेंद्र सिंह का पुराना स्वभाव है कि वह अपनी पार्टी के हर चीफ मिनिस्टर की आलोचना ही करते हैं .शुरू से ही उनकी राजनीति विरोध की रही है. इस वक्त चौधरी बीरेंद्र सिंह और उनके परिवार को भी भारतीय जनता पार्टी में हाशिये पर धकेल दिया है हालांकि उनके पुत्र ने तो कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली है और कयास लगाए जा रहे हैं कि चौधरी बीरेंद्र सिंह अपनी पत्नी के साथ जल्दी कांग्रेस में वापसी करेंगे.
ऐसे ही हालत इस समय भारतीय जनता पार्टी में कुलदीप बिश्नोई के हैं. वह उम्मीद लगा रहे थे कि हिसार से उनके बेटे भव्य बिश्नोई को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी लेकिन मनोहर लाल खट्टर ने अपने पुराने साथी कमल गुप्ता को ही मंत्रिमंडल में जगह दिलवाई.
यानी की कुल मिलाकर यह साफ दिख रहा है कि इस वक्त मनोहर लाल खट्टर ही हरियाणा में सुपर चीफ मिनिस्टर है. उनकी ही पसंद के मुख्यमंत्री है और पूरी की पूरी कैबिनेट वही है जिसे मनोहर लाल खट्टर मंत्री बनवाना चाहते थे. इसीलिए मुख्यमंत्री नायब सैनी जहां भी जाते हैं वह सिर्फ यही कहते हैं कि मान्य मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई में जो भी योजनाएं चल रही है, जो भी उन्होंने हरियाणा के भविष्य को लेकर मैप तैयार किया है मैं और मेरी सरकार इस पर काम करेंगे.