उत्तराखंड में संगठित कॉमन कोड विधेयक: UCC ( Uniform Civil Code )
भारतीय संविधान के तहत, धार्मिक स्वतंत्रता और समानता का समर्थन किया जाता है। हाल ही में, उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड संगठित कॉमन कोड (यूसीसी) विधेयक को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को एक सामान्य कानूनी ढांचे के तहत लाना है। यह विधेयक अत्यधिक चर्चा का विषय बन गया है, और इसके बाद उत्तराखंड के कानून में कैसे परिवर्तन हो सकते हैं, इस पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे।
यूसीसी विधेयक क्या है?
यूसीसी विधेयक का मुख्य उद्देश्य एक संगठित कानूनी सिस्टम को प्रदान करना है, जो सभी धर्मों, समुदायों, और जातियों के लोगों को एक ही सामाजिक और कानूनी ढांचे के अंतर्गत लाने का प्रयास करता है। इसका मुख्य उद्देश्य समाज में समानता, न्याय, और सर्वसमानता को स्थापित करना है। यह विधेयक विभिन्न संतानों, धर्मों, और समुदायों के लोगों के अधिकारों को समाहित करने का प्रयास करता है, जिससे समाज में संवेदनशीलता और समानता की भावना बढ़ती है।
इन कानून में होगा बदलाव
अब इस विधेयक के कानूनी रूप लेने के बाद प्रदेश की आधी आबादी इससे सीधे लाभान्वित होगी। समिति ने ड्राफ्ट में लड़कियों के विवाह की आयु बढ़ाने, बहुविवाह पर रोक लगाने, उत्तराखंड में लड़कियों के बराबर हक, सभी धर्मों की महिलाओं को गोद लेने का अधिकार व तलाक के लिए समान आधार रखने की पैरवी की गई है। ड्राफ्ट में तलाक, तलाक के बाद भरण पोषण और बच्चों को गोद लेने के लिए सभी धर्मों के लिए एक कानून की संस्तुति की है।
विवाह के लिए बदलेंगे कानून
सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य करने का प्रस्ताव किया गया है। बहुपत्नी प्रथा समाप्त कर एक पति पत्नी का नियम सभी पर लागू करने पर बल दिया गया है। प्रदेश की जनजातियों को इस कानून की परिधि से बाहर रखा गया है।
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून बन जाने के बाद लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा. रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर कानून में छह महीने की सजा का प्रावधान किया गया है. लिव इन में रहने की इच्छा रखने वाले जोड़े को भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा
संपत्ति से लेकर लव जिहाद तक बदल जाएंगे ये नियम
यूसीसी ड्राफ्ट के तहत ये प्रमुख कानून बदल जाएंगे। संपत्ति बंटवारे में लड़की का समान अधिकार सभी धर्मों में लागू रहेगा। अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकेगा। लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण कराना आवश्यक होगा। लव जिहाद, विवाह समेत महिलाओं और उत्तराधिकार के अधिकारों के लिए सभी धर्मों के लिए समान अधिकार की बात इसमें की गई है।
समान नागरिक संहिता के प्रमुख बिंदु
.तलाक के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा ।
.तलाक के बाद भरण पोषण का नियम एक होगा ।
. गोद लेने के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा ।
.अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं होगा ।
.सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य होगी ।
. लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण जरूरी होगा ।
. संपत्ति बटवारे में लड़की का समान हक सभी धर्मों में लागू होगा ।
. बहुपत्नी प्रथा होगी समाप्त।
. प्रदेश की 4 जनजातियां इस कानून से बाहर होंगी ।